डिवाइन फैथ फ़ेलोशिप सोसाइटी द्वारा प्रकाशित
Peer Reviewed & Refereed Journal
ISSN 2583-1992

हिन्दी साहित्य की सेवा में साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक ऑनलाइन त्रैमासिक पत्रिका
डॉ. महेश ‘दिवाकर ‘ (डी. लिट्) साहित्य भूषण
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा साहित्य भूषण सम्मान सम्मानित डॉ. महेश ‘दिवाकर’ ने सन् 1978-79 में एम.जे.पी. रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली (उ.प्र.) के अन्तर्गत बरेली कॉलेज, बरेली से ‘हिन्दी नयी कहानी का समाजशास्त्रीय अध्ययन’, शीर्षक शोध प्रबन्ध पर पी-एच.डी. (हिन्दी) की उपाधि प्राप्त की।
तत्पश्चात् सन् 1982 में आपने इसी विश्वविद्यालय से ही ‘बीसवीं शती पूर्वार्द्ध एवं उत्तरार्द्ध की हिन्दी कहानी का समाज-मनोवैज्ञानिक दृष्टि से तुलनात्मक अध्ययन’, शीर्षक शोध प्रबन्ध पर डी.लिट्. (हिन्दी) की सर्वोच्च उपाधि प्राप्त की। कतिपय यह रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय की हिन्दी में प्रदत्त प्रथम डी.लिट्. शोध उपाधि है; जिसका गौरव डॉ. महेश ‘दिवाकर’ को प्राप्त है।
डॉ. महेश ‘दिवाकर’ 14 सितम्बर, सन् 1976 से शिक्षा के क्षेत्र में रहे। बदायूँ, बरेली और बिजनौर आपकी कार्यस्थली के जनपद रहे। 30 जून, सन् 2012 में डॉ. महेश ‘दिवाकर’ ‘गुलाब सिंह हिन्दू (स्नातकोत्तर) महाविद्यालय, चान्दपुर-स्याऊ (बिजनौर) उ.प्र. के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद पर रहते हुए ‘एसोसिएट प्रोफेसर’ के पद से सेवा निवृत्त हुए।
इसके पश्चात भी वे निरन्तर उ. प्र. की सरकारी योजना के अन्तर्गत मुरादाबाद स्थित हिन्दू कॉलेज के हिन्दी विभाग में चार वर्ष तक अध्यापन कार्य करते रहे । आपके निर्देशन में 40 से अधिक शोध छात्र एवं छात्राएँ पी-एच.डी. की उपाधि ग्रहण कर चुके हैं । तत्पश्चात आप श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, गजरौला, अमरोहा (उ.प्र.) के हिंदी विभाग में अवैतनिक शोध निदेशक भी चार वर्ष तक रहे। यहाँ दस शोधार्थियों ने आपके निर्देशन में पी-एच. डी. हिंदी की उपाधि प्राप्त की। यही नहीं, जे. जे. टी. विश्विद्यालय, राजस्थान ने आपको ससम्मान प्रोफेसर इमेरिटस की उपाधि से विभूषित किया।
डॉ. महेश 'दिवाकर' हिन्दी के उन्नयन एवं संवर्द्धन के लिए पूर्णतया समर्पित हैं। एक आदर्श शिक्षक के साथ-साथ आप एक लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार भी हैं। आप अपने आप में एक सांस्कृतिक संस्था हैं। देश-विदेश की अनेकशः सरकारी- गैर-सरकारी साहित्यिक संस्थाओं के सदस्य, संरक्षक एवं आजीवन सदस्य के रूप में उनका कार्य हिन्दी के प्रचार-प्रसार से सीधे जुड़ा है।
आप एक समर्थ लेखक एवं कवि भी हैं जिन्होंने हिन्दी की विविध विधाओं में अनेकशः कृतियों की रचना की है। उनकी मौलिक कृतियों में दो शोध ग्रन्थ; दस समीक्षा-शोधपरक ग्रन्थ; दो साक्षात्कार ग्रंथ; दो नयी कविता संग्रह; दो गीत संग्रह; आठ मुक्तक एवं गीति-संग्रह; सात खण्ड काव्य; तेरह यात्रा-वृत्त; दो संस्मरण एवं रेखाचित्र संग्रह उल्लेखनीय हैं। आपकी सम्पादित कृतियों में दस अभिनन्दन ग्रंथ; दो स्मृति ग्रंथ; छः सन्दर्भ कोश; बीस काव्य संकलन (विविध विधाशः); तीन विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम-संकलन; तीन साहित्यकार विशेष संकलन; ग्यारह वृहद-ग्रंथ संकलन हैं। आपका साहित्य लोकधारा नाम से ग्यारह खंडों में विश्व पुस्तक प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हैं। इसके प्रथम पांच खंड प्रकाशित हो चुके हैं, शेष प्रकाशन प्रक्रिया में हैं।
डॉ. महेश ‘दिवाकर’ ‘अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच’ के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था लगभग 33 वर्ष पुरानी है जो देश -विदेश में हिन्दी के उन्नयन एवं संवर्द्धन और प्रचार-प्रसार के लिए प्रख्यात है। आप नार्वे, स्वीडन, ट्रिनीडाड एवं टुबैगो, उज़्बेकिस्तान, मोरिशस, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, दुबई, मास्को, इंग्लैण्ड, आबूधाबी, फ्रांस, स्विटज़रलैण्ड, इटली, आस्ट्रेलिया, थाइलैण्ड, कम्बोडिया, वियतनाम, आस्ट्रिया, जर्मनी, बेल्जियम नीदरलैण्ड, भूटान आदि देशों की साहित्यिक यात्राएँ भी सम्पन्न कर चुके हैं। मुरादाबाद स्थित मिलन विहार, देहली मार्ग पर आपने स्थाई रूप से एक हिंदी भवन का भी निर्माण किया है जिसमें पूर्ण सुविधाओं से युक्त 11 कक्ष हैं और भूतल पर कार्यक्रमों के लिए एक बड़ा कक्ष भी है जिसमें एक साथ सौ से अधिक साहित्यकार बैठ सकते हैं। सभी कक्षों में हिंदी के स्वनाम धन्य साहित्यकारों के चित्र लगे हैं। कक्षों के नाम साहित्यकारों के नाम पर हैं। हिंदी भवन का निर्माण कार्य सन् 2020 में पूर्ण हुआ है। देश - विदेश से आने वाले साहित्यकार इनमें आकर निशुल्क रुक सकते हैं।
इसी प्रकार, आपने चंदौसी (संभल) उत्तर प्रदेश में पांच बीघा भूमि अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच के लिए स्थाई रूप से दान में दी है जिसमें विविध स्थाई योजनाओं का संचालन होगा। यह मंच का स्थाई आवासीय कार्यालय एवं हिंदी भवन होगा। आपकी हिन्दी के प्रति इसी समर्पण सेवा भाव को देखते हुए समय-पर भारत की अनेकशः गैर-सरकारी साहित्यिक संस्थाओं ने सम्मानित भी किया है। आपकी हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में असाधारण सेवाओं को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने आपको ‘साहित्य भूषण सम्मान’ से सम्मानित किया है ।
संपर्क- दूरध्वनि: +91-992738377, 9837263411
अणुमेल: mcdiwakar@gmail.com
