डिवाइन फैथ फ़ेलोशिप सोसाइटी द्वारा प्रकाशित
Peer Reviewed & Refereed Journal
ISSN 2583-1992
हिन्दी साहित्य की सेवा में साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक ऑनलाइन त्रैमासिक पत्रिका
रचनाकारों के लिये अनुदेश
आदरणीय साहित्यकार बंधुओं, ई - प्रदीप ऑनलाइन त्रैमासिक पत्रिका, हिंदी साहित्य व भाषा को समर्पित एक बेव पोर्टल, पत्रिका एवं जर्नल है। इसमें हिंदी साहित्य से सम्बंधित लगभग सभी विधाओं को संकलित करने का प्रयास किया जा रहा है। लेखकगण केवल हिंदी भाषा में ही अपनी रचनाएँ प्रकाशन हेतु भेजें अन्य किसी भाषा में किसी भी प्रकार की रचनाएँ स्वीकार नहीं की जायेंगी। रचनाएँ एवं शोधपत्र प्रेषित करते समय कृपया निम्न अनुदेशों को ध्यानपूर्वक पढ़ लें स्मरण रखें –
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ई - प्रदीप पत्रिका में शोध आलेखों के साथ - साथ हिन्दी की अन्य विधाओं जैसे कविता, कहानी, आलेख, संस्मरण, पुस्तक समीक्षा, साक्षात्कार, यात्रावृत, लघुकथा आदि को भी प्रकाशित किया जाता है। लेखक एवं रचनाकार साहित्य, कला, मीडिया, शोध, शिक्षा, दलित एवं आदिवासी, किन्नर, समसामायिक विमर्श, अनुवाद, एवं प्रवासी साहित्य आदि विषय पर अपनी रचनाएँ एवं शोध-आलेख भेज सकते हैं। ई-प्रदीप में शोध आलेख का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप किया जाता है। शोध आलेख निम्न प्रारूप में ही लिखें।
शोध आलेख विषय
विभाग का नाम, संस्थान का नाम अथवा पता, ईमेल एवं मोबाइल नंबर
शोध सारांश जो 200 शब्दों से अधिक न हो
बीज शब्द
भूमिका
निष्कर्ष
संदर्भ में लेखक का नाम, प्रकाशन वर्ष, पुस्तक का नाम, प्रकाशन का नाम, प्रकाशन का स्थान अवश्य लिखें। (उपरोक्त फोर्मेट एपीए के अनुसार है)
शोध आलेख के फोर्मेट को देखने के लिए (Research Paper Format) डाउनलोड करें।
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ध्यान रखें कि रचनाएँ पूर्णत: मौलिक हो। पूर्व प्रकाशित रचना यदि अज्ञानतावश प्रकाशित हो जाती है तो उसका पूर्ण उत्तर दायित्व साहित्यकार एवं रचनाकार का होगा ।
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शोध-पत्र 3000 - 3500 शब्दों से अधिक न हो तथा 200 शब्दों का सारांश भी प्रेषित करें। शोध-पत्र ए - 4 साइज़ के कागज पर कंप्यूटर से एक ओर मुद्रित केवल यूनिकोड अथवा मंगल में ही हों। किसी अन्य फोन्ट अथवा अथवा स्केन कर भेजी गयी रचना किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं की जायेगी। उसके लिए अलग से कोई प्रतिउत्तर भी नहीं दिया जा येगा।
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यदि रचना कापीराईट का उल्लंघन करती है अथवा किसी अन्य रचना या पूर्व प्रकाशित रचना का कोई अंश बिना प्रकाशक एवं एवं लेखक की पूर्वानुमति के प्रकाशित हो जाता है तो उसका पूर्ण उत्तरदायित्व लेखक एवं रचनाकार का होगा। पत्रिका का संपादक परोक्ष या अपरोक्ष रूप से इसके लियें उत्तरदायी नही होगा।
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कृपया रचना भेजने के पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि उसमे व्याकरण एवं मात्राओं की गलतियाँ किसी भी स्थिति न हों।
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रचनाएँ केवल यूनिकोड अथवा मंगल फॉण्ट साइज़ 14 में ही रचनाएँ प्रेषित में करें अन्य किसी फॉण्ट में रचनाएँ स्वीकार नही की जायेंगी।
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शोध आलेखों में सन्दर्भ ग्रन्थ सूची का उल्लेख अवश्य करें। सन्दर्भ ग्रन्थ सूची में लेखक का उपनाम, मुख्य नाम, पुस्तक का नाम, प्रकाशन का वर्ष, पृष्ठ संख्या एवं प्रकाशक का नाम अवश्य अंकित होना चाहिए। पत्रिका के सन्दर्भ में लेख का शीर्षक, पत्रिका का नाम, अंक, पृष्ठ क्रम एवं प्रकाशन वर्ष अवश्य दें।
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शोध पत्रों की स्वीकृति एवं अस्वीकृति का अंतिम निर्णय पीर रिव्यू विशेषज्ञ की टिप्पणियों (Peer Review Expert comments) के उपरान्त संपादक मंडल की अनुशन्सा पर ही लिया जाएगा है। इस संबन्ध में अन्तिम अधिकार सम्पादक समिति को प्राप्त है जो सभी रचनाकारों को मान्य होगा।
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विषय विशेषज्ञ द्वारा किसी शोध पत्र में संशोधन की अनुशंसा किए जाने पर उसे लेखक के पास दोबरा भेजकर एक निश्चित समय सीमा में संशोधन का अनुरोध किया जाएगा। लेखक द्वारा संशोधित शोध पत्र को मूल्यांकन के लिए पुन: विशेषज्ञ के पास संस्तुति के लिए भेजा जाएगा। शोध पत्रों एवं रचनाओं में परिवर्तन करने का अधिकार सम्पादक मंडल के पास होगा, संपादक मंडल रचनाओं को परिवर्तित रूप में प्रकाशित कर सकता है।
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शोध-पत्र अथवा किसी प्रकार की रचना को छापने के लिए किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
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शोध पत्र के प्रकाशन हेतु संपादक के नाम पत्र होना चाहिए, जिसमें स्पष्ट रूप से शोध पत्र के सम्बन्ध में "मौलिक एवं अप्रकाशित" शब्द लिखा होना चाहिए और इसे अन्यत्र न भेजे जाने की पुष्टि हो। शोध पत्र की सामग्री कहीं से चोरी की गयी (plagiarism) नहीं होनी चाहिए इस सम्बन्ध में वेबसाइट पर उपलब्ध “मौलिकता का प्रमाण-पत्र” (Certification of Originality) डाउनलोड करें एवं उसे आलेख के साथ प्रेषित करें।
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शोध पत्र में सारणी एवं चित्रों का प्रयोग लेख के बीच में न करते हुए अंत में सन्दर्भ या संलग्नक के रूप में करें।
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शोध पत्र ई-मेल द्वारा निम्न ई-मेल आई डी eppatrika@gmail.com पर भेजा जा सकता है। ईमेल के अतिरिक्त किसी अन्य माध्यम से भेजी गयी रचना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी।
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शोध-पत्र प्रकाशित होने की उपरान्त में यदि लेखक कोई लेखक अथवा रचनाकार ई-प्रदीप का प्रकाशित अंक प्राप्त करना चाहता है तो उसे ई-प्रदीप की बेवसाइट www.epradeep.com से पी डी एफ डाउनलोड करना होगा। प्रकाशित अंक को अलग से भेजने का कोई प्रावधान नहीं है।