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डॉ. गंगा प्रसाद शर्मा  ‘गुणशेखर’

शिक्षा: एम ए, एम एड, पी-एच.डी (हिन्दी )

जन्म तिथि: 1 नवंबर सन् 1962 ई.

ग्राम: समशेर नगर, पत्रालय: बहादुर गंज, जनपद: सीतापुर

माध्यमिक शिक्षा: महमूदाबाद (अवध) से

उच्च शिक्षा: लखनऊ विश्वविद्यालय,लखनऊ से

शैक्षणिक अनुभव और शैक्षणिक उपयोगिता की पुस्तकों का लेखन: 30 वर्षों से अधिक का अध्यापन अनुभव अधिकतर हिन्दी तर भाषी और विदेशी विद्यार्थियों को हिन्दी  भाषा और साहित्य का शिक्षण एन इंट्रोडक्टरी हिन्दी  रीडर( हिन्दी तर भाषियों और विदेशियों को हिन्दी  सिखाने की रूप साम्य पद्धति पर तैयार की गई अब तक की इकलौती सरलतम पुस्तक) संक्षिप्त व्यवहारिक शब्दावली (शब्दकोश) स्त्रीलिंग शब्द माला हिन्दी  (शब्दकोश),हिन्दी  क्रियाओं के बहुसंदर्भी प्रयोग,हिन्दी  में लिंग निर्धारण

संपादन अनुभव: 30 वर्षों से अधिक का पत्र पत्रिकाओं के संपादन का अनुभव(सबसे पहले 1984 में नैमिष भूमि साप्ताहिक में सह संपादक फिर सन्1985 से उप संपादक।इसके बाद कोंपल मासिक पत्रिका का संपादन,  हिन्दी  की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'इंदु संचेतना' का चीन के ग्वांगझू  विश्वविद्यालय से प्रकाशन व संपादन। आज भी उस पत्रिका के प्रधान संपादक के रूप में कार्य निष्पादन कर रहे हैं। 'भाखा' पत्रिका का संपादन कर मातृभाषा की सेवा भी जारी है।

संगोष्ठी का आयोजन: लाल बहादुर राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में सहायक प्रोफेसर और प्रभारी सहायक निदेशक राजभाषा के पद पर रहते हुए हिन्दी तर भाषियों के लिए नवीन पाठ्यचर्याएं और हैंड आउट्स तैयार किए। अनेक राज भाषा संगोष्ठियों का आयोजन किया।दो राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों और राष्ट्रीय राजभाषा संगोष्ठियों का संयोजन और संचालन किया।उनमें से एक कवि सम्मेलन की अध्यक्षता चर्चित और प्रतिष्ठित नवगीतकार तथा तत्कालीन उत्तर प्रदेश हिन्दी  संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष श्री सोम ठाकुर ने की थी।एक राजभाषा संगोष्ठी में अध्यक्षता प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित और मुख्य आतिथ्य आचार्य राम मूर्ति त्रिपाठी जैसे लब्ध प्रतिष्ठ मनीषियों का था। ईरान प्रवास के दौरान ईरान :ईराक में हिन्दी  के प्रचार प्रसार हेतु पहले फ़ारसी और अरबी सीखी फिर उसे पढ़ और बोल लेने लायक हो जाने पर उन्हें हिन्दी  सिखाना आरंभ किया।वहाँ रहते हुए ईरानी कहावतों,नीति और लोक कथाओं का भी हिन्दी  में अनुवाद किया।वे अनुवाद काफ़ी पसंद किए गए। भारतीय  दूतावास के सहयोग से 12 देशों के अभिनेताओं  को लेकर इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर कहानी पर आधारित नाटक का रूपांतरण और निर्देशन किया था।वह इतना लोकप्रिय हुआ था कि दूसरे देशों के दूतावासों में भी अभिनीत हुआ। चीन में रहते हुए सेंजन एवं गुआंगदोंग अंतर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन एवं संयोजन किया

पत्र-पत्रिकाओं तथा सेमिनारों में प्रस्तुत शोध आलेखों के कुछ उदाहरण:

1.'चीन और बौद्ध धर्म के विशेष आलोक में समसामयिक दशा और दिशा' (अंतरराष्ट्रीय-संस्कृत-सम्मेलन,राज भवन, देहरादून में प्रस्तुत)

2. 'साहित्य और संवेदना' (विश्व हिन्दी मंच, भारत तथा गुआंगडोंग अंतरराष्ट्रीय भाषा विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चतुर्थ अंतररराष्ट्रीय संगोष्ठी, हांगकांग में प्रस्तुत)

3.'तमस : विभाजन और त्रासदी' (भीष्म साहनी जन्मशती समारोह के उपलक्ष्य में काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत)

4. 'हिन्दी का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप' (अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी पीलीभीत में प्रस्तुत)

5. 'भूमण्डलीकरण के परिप्रेक्ष्य में साहित्य समाज संस्कृति और भाषा' (साठये महाविद्यालय द्वारा आयोजित द्वि दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत)

6. 'अभिनव शिल्प के 'कैनवास पर प्रेम' रचित की हुई कूची का जादू' (पुस्तक समीक्षा, शिवना साहित्यिकी पत्रिका के जुलाई-सितंबर 2016 अंक में प्रकाशित)

8 . 'एक ही 'छप्पर' के नीचे बाबा साहेब और बापू' ('छप्पर की दुनिया: मूल्यांकन और अवदान' पुस्तक में प्रकाशित)

9. गोस्वामी तुलसीदास की स्त्री चेतना, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय,काशी

10. दसवें विश्व हिन्दी  सम्मेलन,भोपाल में भारत सरकार   के अतिथि आमंत्रित वक्ता के रूप में हिन्दी  की वैश्विक स्थिति पर व्याख्यान

11. उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान और लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित भाषा समारोह में अतिथि वक्ता के रूप में प्रवासी हिन्दी लेखन पर व्याख्यान

 12.  रूहेलखंड विश्ववविद्यालय, राजीव गाँधी विश्वविद्यालय,लखनऊ विश्वविद्यालय, बाबा साहेब आन्बेदकर विश्वविद्यालय, एस एन डी टी, दिल्ली,राजस्थान विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू, कर्नाटक और पंजाब विश्वविद्यालय सहित देश-विदेश के अन्य अनेक विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्ध महाविद्यालयों के आयोजनों/ राष्ट्रीय-अंतर राष्ट्रीय संगोष्ठियों में आमंत्रित किए जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वहाँ प्रस्तुत किए गए व्याख्यान और शोध पत्र उनके विशेषांकों/ पुस्तकों में संकलित हैं।

पाठ्यक्रम में स्वीकृति: गुआंगदोंग अंतर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में 'हिन्दी  साहित्य का सरल और संक्षिप्त इतिहास' के साथ एक कहानी और एक व्यंग्य निबंध  सम्मिलित। लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के हिन्दी  के  आधार पाठ्यक्रम में प्रवेशिका, अकनसाइज ग्लोसरी ऑफ़ अरेबिक ऐण्ड पर्सियन टर्म्स, स्त्रीलिंग शब्दमाला और Gender determination in हिन्दी  आदि प्राथमिकता के साथ सम्मिलित। शताधिक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संगोष्ठियों में अध्यक्ष,मुख्य अतिथि,विशिष्ट, सम्मानित अतिथि और शोध पत्र प्रस्तुत कर्ता आदि के रूप में  सहभागिता। शताधिक शोधालेख विशिष्ट संदर्भ और महत्त्व वाली विभिन्न पुस्तकों तथा राष्ट्रीय महत्त्व की पत्र-पत्रिकाओं में सम्मिलित।

प्रकाशन: उभरते स्वर,समय की शिला पर दोहे, लखनऊ के साहित्यकार, सप्तपदी, इंट्रोडक्टरी हिन्दी रीडर (हिन्दी तर भाषियों और विदेशियों को हिन्दी  सिखाने की रूप साम्य पद्धति पर तैयार की गई अब तक की इकलौती सरलतम पुस्तक) संक्षिप्त व्यवहारिक शब्दावली(शब्दकोश) स्त्रीलिंग शब्द माला हिन्दी  (शब्दकोश),हिन्दी  क्रियाओं के बहुसंदर्भी प्रयोग, अफसर का कुत्ता, पुलिसिया व्यायाम( दोनों व्यंग्य संग्रह), मेरी सोई हुई संवेदना (कविता संग्रह), डरा हुआ आकाश (दोहा संग्रह), हर जवाँ योजना प्रधान के हरम में( गज़ल संग्रह), आधुनिक भारत के बहुरंगी दृश्य (भारतीय प्रशासनिक सेवा के  अधिकारियों के  द्वारा लिखित चुनिंदा निबंध), राजभाषा हिन्दी:दशा और दिशा, गुआंगद्दोंग  यूनिवर्सिटी आफ फॉरेन स्टडीज के चारों वर्षों के पाठ्यक्रम का निर्माण और संचयन, हिन्दी  सीखने वाले विदेशी विद्यार्थियों को हिन्दी  साहित्य का ज्ञान कराने के लिए 'हिन्दी  साहित्य का सरल और संक्षिप्त इतिहास का लेखन' पूरे 5 वर्षों से हिन्दी  साहित्य की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'इंदु संचेतना' का चीन से प्रकाशन उस के प्रधान संपादक के रूप में कार्य निष्पादन। शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तकें हैं- चीन की डायरी,ईरानी नीति कथाएँ,  'हिन्दी  आलोचना का  व्याकरण', 'हिन्दी  अंग्रेज़ी का तुलनात्मक व्याकरण' और 'व्याकरण सबके लिए।' अब तक कुल मिलाकर 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।

संपादित पत्रिकाएँ :

1. 'इंदु संचेतना' (हिन्दी साहित्य की त्रैमासिक परिक्रमा के प्रधान संपादक)

2.'भाखा' (अवधी की तिमाही में पैकरमा के प्रधान संपादक)

सम्मान व पुरस्कार:

1.साहित्य शिरोमणि सम्मान (1999, साहित्य-कला परिषद,जालौन, उ. प्र. द्वारा),

2. तुलसी सम्मान (2005, सूकरखेत, उ. प्र.  द्वारा),

3.विश्व हिन्दी  सम्मान, 2014

4. विश्व हिन्दी  सेवी सम्मान, (2016 विश्व हिन्दी  मंच, हांगकांग द्वारा)

5. गुरु घासीदास सम्मान (2014, नवां अंतरराष्ट्रीय हिन्दी  सम्मेलन के अवसर पर बहुयामी सांस्कृतिक संस्था, रायपुर द्वारा)

6. विश्व हिन्दी  सेवी सम्मान, (2014, विश्व हिन्दी  मंच, पीलीभीत द्वारा)

7. विश्व भाषा के रूप में हिन्दी  पर वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हेतु प्रशस्ति पत्र (2005, भारत सरकार गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, देहरादून द्वारा)

8. सन् 2014 में विश्व हिन्दी  सेवा सम्मान, महामहिम राज्यपाल श्री राम नाइक के कर कमलों से, लखनऊ,उत्तर प्रदेश, पेइचिंग,चीन  में छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों के दल के द्वारा छत्तीसगढ़ सृजन सम्मान से सम्मानित किया गया। हांगकांग में 'विश्व हिन्दी  सेवी सम्मान'से सम्मानित।

पत्र-पत्रिकाओं तथा सेमिनारों में प्रस्तुत शोध आलेख:

1. 'चीन और बौद्ध धर्म के विशेष आलोक में समसामयिक दशा और दिशा' (अंतरराष्ट्रीय-संस्कृत-सम्मेलन में प्रस्तुत)

2. 'साहित्य और संवेदना' (विश्व हिन्दी मंच, भारत तथा गुआंगडोंग अंतरराष्ट्रीय भाषा विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी, हांगकांग में प्रस्तुत)

3. 'तमास - विभाजन और त्रासदी' (भीष्म साहनी जन्मशती समारोह के उपलक्ष्य में काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत)

4. 'हिन्दी का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप' (अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी पीलीभीत में प्रस्तुत)

5. 'भूमण्डलीकरण के परिप्रेक्ष्य में साहित्य समाज संस्कृति और भाषा' (साठये महाविद्यालय द्वारा आयोजित द्वि दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत)

6. 'अभिनव शिल्प के 'कैनवास पर प्रेम' रचित की हुई कूची का जादू' (पुस्तक समीक्षा, शिवना साहित्यिकी पत्रिका के जुलाई-सितंबर 2016 अंक में प्रकाशित)

8. 'एक ही 'छप्पर' के नीचे बाबा साहेब और बापू' ('छप्पर की दुनिया - मूल्यांकन और अवदान' पुस्तक में प्रकाशित)

प्रकाशित पुस्तकें :

1. सप्तपदी' और 'समय की शिला पर' के सहयोगी दोहाकार (संभावित प्रकाशन वर्ष1995-96)

2. मेरी सोई हुई संवेदना (कविता संग्रह,1998)

3. हर जवाँ योजना परधान के हरम में (गज़ल संग्रह,1999)

4. दारा हुआ आकाश (दोहा संग्रह ,1999)

5. अफसर का कुत्ता, पुलिसिया व्यायाम(दोनों व्यंग्य संग्रह, 2003-04)

6. आधुनिक भारत के बहुरंगी दृश्य(2005, भारतीय आई.ए.एस. अधिकारियों के द्वारा लिखित निबंधों का संपादित संकलन)

7.  स्त्रीलिंग शब्दमाला (2005, शब्दकोश)

8.  व्यावहारिक शब्दकोश (2005,अरबी-फ़ारसी के बहु-प्रचलित शब्दों का कोश)

9. An introductory Hindi Reader (2006, specially prepared for non-Hindi speaking Indian and foreigners)

10. दलित साहित्य का स्वरूप विकास और प्रवृत्तियाँ (2012, रमणिका फाउंडेशन के लिए)

संपादित पत्रिकाएं:

1. 'इंदु संचेतना' (हिन्दी साहित्य की त्रैमासिक परिक्रमा के प्रधान संपादक)

2. 'भाखा' (अवधी की तिमाही में पैकरमा के प्रधान संपादक)

संप्रति: अंतरराष्ट्रीय भाषा संस्थान, सूरत का संचालन

पता: ई-504, शृंगाल होम्स, वी आई पी रोड, सूरत- 395021 मोबाइल: 8000691717

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